रामचरितमानस के चमत्कारिक मंत्र powerful mantra from ramayana chaupai
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नीलाम्बुजश्यामलकोमलाङ्गं सीतासमारोपितवामभागम।श्री रामचरितमानस, अयोध्याकाण्ड, मंगलाचरण-३
पाणौ महासायकचारूचापं नमामि रामं रघुवंशनाथम॥
अर्थ सहित:-नीले कमल के समान श्याम और कोमल जिनके अंग हैं, श्री सीताजी जिनके वाम भाग में विराजमान हैं और जिनके हाथों में (क्रमशः) अमोघ बाण और सुंदर धनुष है, उन रघुवंश के स्वामी श्री रामचन्द्रजी को मैं नमस्कार करता हूँ
शास्त्रों के अनुसार रामायण का पाठ करने से पाप का नाश होता है और पुण्य मिलता है रामायण भगवान श्रीराम की कथा है जिन्हें श्रवण करने मात्र से या पाठ करने से पाप ताप संताप (त्रयताप ) का नाश होता है
Ramayana को राम रूप भी कहा गया है रामायण में सात काण्ड हैं। ये 7 काण्ड सात सुन्दर सीढ़ियाँ हैं, जो श्रीरघुनाथजी की भक्ति को प्राप्त करने के मार्ग हैं जिस पर श्री हरि की अत्यन्त कृपा होती है, वही इस मार्ग पर पैर रखता है
‘श्री हनुमान जी कि स्तुति का पाठ करें
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।भावार्थ:- अतुल बल के धाम, सोने के पर्वत (सुमेरु) के समान कान्तियुक्त शरीर वाले, दैत्य रूपी वन (को ध्वंस करने) के लिए अग्नि रूप, ज्ञानियों में अग्रगण्य, संपूर्ण गुणों के निधान, वानरों के स्वामी, श्री रघुनाथजी के प्रिय भक्त पवनपुत्र श्री हनुमान्जी को मैं प्रणाम करता हूँ॥
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